Striyon Ki Kamsheelta Aur Sambhog Ke Prati Ghirna स्त्रियों की कामशीलता और संभोग के प्रति घृणा
Striyon Ki Kamsheelta Aur Sambhog Ke Prati Ghirna
स्त्रियों में कामशीलता-
संभोग स्त्री और पुरूष के बीच की वो कड़ी है, वो प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो दोनों को ऐसा आनंद प्रदान करती है, कि दोनों ही एक-दूसरे के प्रति दीवाने हो जाते हैं। एक-दूसरे के लिए प्यार में खो जाते हैं। संभोग स्त्री और पुरूष दोनों के आपसी सहयोग से जुड़ी है। अगर दोनों में से कोई भी एक सेक्स में ठंडा पड़ जाये, अरूचि दिखाये या फिर पूर्ण सहयोग प्रदान न करे, तो सेक्स का आनंद फीका पड़ जाता है। सारा मजा किरकिरा हो जाता है और एक पार्टनर की अरूचि की वजह से दूसरे की रूचि भी मैथुन के लिए समाप्त हो जाती है।
धीरे-धीरे यही वजह शादीशुदा जिंदगी को तबाह तक कर देती है। मैथुन में ठंडेपन और कामशीलता की बात की जाये, तो स्त्रियों में ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। कई स्त्रियां ऐसी हैं या फिर यूं कह लें कि कई पुरूष ऐसे हैं जिनका कहना है कि उनकी पत्नी को सेक्स में कोइ रूचि नहीं है। अगर वह पत्नी से दो-तीन माह तक मैथुन न करे, तो भी उनकी पत्नी को कोई फर्क नहीं पड़ता। वह सामान्य बनी रहती हैं।
ऐसे में यह सोचनीए विषय बन जाता है कि आखिर स्त्रियों में कामशीलता क्यों होती है..?
स्त्रियों में कामशीलता के कारण-
कोई दुर्घटना घट जाना जैसे- बलात्कार, प्रसव कष्टप्रद हुआ हो, भय, आलस्य, उदासीनता, पुरूष का सेक्स के विषय में अनाड़ी होना या शीघ्रपतन का रोगी होना, बारम्बार सहवास क्रिया में अतृप्त रहना, योनि के कष्टदायक रोग जैसे- जलनदार प्रदर, घाव करने वाला स्राव, छोटी योनि, योनि की फुन्सियां या सूजन, जन्मजात रक्ताल्पता, मानसिक आघात, सहवास साथी घृणा या उसके शरीर से दुर्गन्ध आना इत्यादि।
स्त्रियों में संभोग इच्छा की कमी का व्यावहारिक उपचार-
1. ऐसी स्त्री को नग्न पुरूषों के सेक्सरत चित्र व चलचित्र दिखाने चाहिए। कामोत्तेजक वार्तालाप करना चाहिए। उस मानसिक ग्रन्थि को तलाश करना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप स्त्री के अंदर कामशीलता पनपी है। जब इस बात का पता चल जाये, तो उसका उपयुक्त समाधान करना चाहिए।
2. पुरूष को चाहिए कि एकांत वातावरण में स्त्री से खूब लाड़-प्यार करे, सहानुभूति जताये। यदि उसे कोई जननांग संबंधी कष्ट या शारीरिक मिलन के प्रति कोई भ्रांति या भय हो, तो उसे दूर करने की चेष्टा करें।
3. पुरूष को शीघ्र ही शारीरिक मिलन के लिए उतारू न होकर पहले फोरप्ले करना वो भी प्यार से, स्नेह से और धैर्य रखते हुए धीरे-धीरे करना चाहिए। ताकि स्त्री शारीरिक मिलन के पूरी तरह उत्तेजित होकर तैयार हो सके। स्त्री को बीच-बीच में बार-बार बड़े प्रेम से बाहुपाश में जकड़ कर या बांहों में लेकर चुम्बन करना चाहिए।
4. स्त्रियों के अति उत्तेजक काम-केन्द्र हैं स्तन घुण्डियां, निचला होंठ, योनि की घुण्डी व भगोष्ठ के पीछे का भाग, गाल, पेडू प्रदेश, जांघ, गर्दन आदि। इसको छेड़, चूम, सहलाकर स्त्रियों की वासना जागृत की जा सकती है।
5. इसके अतिरिक्त जानवरों को सेक्सरत देखना, समुद्रतट की सैर करना भी कामोत्तेजक है, क्योंकि समुद्रतट पर पानी और सड़ी हुई घास से आयोडीन का वाष्पीकरण होकर वायु में समावेश होता रहता है, जोकि कामोत्तेजना के लिए अति लाभप्रद सिद्ध होता है।
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6. गर्म मसाले, मांसए अण्डे तथा अन्य मेवों का प्रयोग भी सहायक सिद्ध होता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा-
1. निम्न योग 1-2 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम 10 मलाई से खिलाकर ऊपर से एक पाव गर्म दूध पिला दें। इसके प्रयोग से स्त्रियों में कामोत्तेना और जोश पैदा होता है तथा उन्हें शक्ति भी मिलती है। इस योग के प्रयोगकाल में तेल, अचार, खटाई, लाल मिर्च, चाट-पकौड़े आदि का परहेज करायें।
सौंठ, सफेद मूसली, आम के फूल, गेहूं के खूंद, अशोक की छाल प्रत्येक 50 ग्राम, छोटी इलायची के बीज, कस्तूरी, केसर, मोचरस, काफूर भीम सेनी प्रत्येक 1 ग्राम, तालमखाना ताजा, शतावरी, भांग के पत्ते, खशखाश, अनार के फूल प्रत्येक 5 ग्राम।
सबसे पहले सख्त दवाओं को कूट-पीसकर कपडे़ से छान लें। फिर शेष दवाओं को भी खरल करके मिला लें तथा उपरोक्त विधि से सेवन करायें।
2. शतावरी तेल(शास्त्र वर्णित) का फाया पिचु योनि में रखवायें और शाम में कामदेव घृत(शागरंधर संहिता) तथा फल घृत प्रत्येक 10 ग्राम खिलाकर ऊपर से गाय का दूध 250 मि.ग्रा. पिला दें।
3. इवोरिन कैप्सूल(आयुरलैब) 2-2 कैप्सूल दिन में 2 बार एक माह तक दें। दूसरे माह में 1-1 कैप्सूल 3 बार दें। उसके बाद 1 कैप्सूल प्रतिदिन रात को दूध के साथ पूर्ण लाभ होने तक दें। स्त्रियों के लिए उत्तम टाॅनिक है। यह उनमें जवानी को बनाये रखता है और कामशक्ति को जगाता है और बरकरार रखता है। इसके सेवन से कामशीलता दूर होकर कामशक्ति बढ़ती है। प्रत्येक कैप्सूल में चन्द्रप्रभा 120 मि.ग्रा., रससिन्दूर 30 मि.ग्रा., मण्डूर भस्म 10 मि.ग्रा., ताम्रभस्म 1 मि.ग्रा., लघुमालिनी वसन्त 30 मि.ग्रा., प्रवाल चन्द्रपुटी 30 मि.ग्रा., अशोक 400 मि.ग्रा., शतावरी 200 मि.ग्रा., अश्वगंधा 100 मि.ग्रा., कुटकी 30 मि.ग्रा., अकरकरा 30 मि.ग्रा., शुद्ध कुचला 15 मि.ग्रा., पीपली 15 मि.ग्रा. तथा कर्पूर 10 मि.ग्रा. समाविष्ट है।
4. पुष्पधन्वा रस 1-1 टिकिया सुबह-शाम शहद के साथ चाटकर ऊपर से दूध पीने से स्त्री के कामांगों का पूर्ण विकास होता है तथा कामशीलता दूर हो जाती है। लगातार कुछ दिन तक दें।
5. वृहत् कामचूड़ामणि रस 1-1 टिकिया सुबह-शाम शहद के साथ चाटकर दूध पीने से कामोत्तेजना उत्पन्न होने लगती है। पुष्पधन्वा रस के समान स्त्री-पुरूष दोनों इसका सेवन कर सकते हैं। दोनों के लिए लाभकारी है।
6. फेमटोन सीरप(आयुलैब्स) 2-2 चम्मच तीन बार भोजन के बाद देने से स्त्री के विभिन्न रोग जैसे श्वेतप्रदर, रक्तप्रदर, कष्टार्तव, गर्भ न ठहरना, दैहिक संबंध की इच्छा न होना आदि विकारों में लाभ होता है। इससे दुर्बलता भी दूर होती है। स्त्री रोगों की अत्यंत उपयोगी औषधि है। लगातार 3-4 मास तक दें।
7. शुद्ध हिंगुल, केसर, जायफल, लौंग और खुरासनी अजवायन 10-10 ग्राम, अकरकरा 40 ग्राम और अफीम 10 ग्राम पीसकर 250 मि.ग्रा. की टिकियां बना लें। एक टिकिया शाम के समय दूध के साथ लेने से कामोत्तेजना उत्पन्न होती है तथा मैथुन में आनंद आता है।
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