Sambhog Shakti Badhane Ke Liye Aasan Desi Nuskhe
संभोग शक्ति बढ़ाने के लिए आसान देसी नुस्खे-
संभोग किसे कहते हैं?
स्त्री और पुरूष के बीच एकांत में किये जाने वाले शारीरिक मिलन को ही सेक्स अथवा संभोग कहा जाता है। इस क्रिया में पुरूष, स्त्री से और स्त्री पुरूष से अपने गुप्तांगों का मिलन करवा कर शारीरिक आनंद प्राप्त करते हैं और अंत में चरम पर पहुंच कर आंनद के अंतिम पड़ाव को हासिल करते हैं।
वैसे संभोग का शाब्दिक अर्थ निकाल जाये तो सम + भोग यानी समान रूप से भोगे जाने वाला भोग अथवा सेक्स। जिसमें पुरूष और स्त्री दोनों को आनंद की अनुभूति होनी चाहिए और दोनों को ही पूर्ण रूप से संतुष्टी मिलनी चाहिए। ऐसा आनंदमय भोग ही वास्तविक रूप में ‘संभोग’ है।
संभोग का वास्तविक आनंद ही तब है, जब पुरूष और स्त्री विशेष कर पुरूष अपनी पार्टनर व स्त्री को पूर्ण रूप से संतुष्ट करने में सक्षम हो, शक्तिवान हो। यदि कोई पुरूष अपनी स्त्री को संभोग कार्य में पूरी तरह से संतुष्ट करने में असफल रहता है, तो यह उसके लिए बड़ी शर्मनाक स्थिति हो जाती है।
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संभोग में असफल रहने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यदि संभोग में धैर्य रखा जाये और धीरे-धीरे आगे बढ़ा जाये तो पुरूष, स्त्री को खुश व संतुष्ट करने में सफल हो सकता है। जो पुरूष ऐसा नहीं कर पाते या फिर बुरी संगत, बुरी आदतों व बचपन की गलतियों के कारण अपनी सेक्स क्षमता गंवा चुके हैं या कम कर चुके हैं, तो यहां नीचे कुछ आयुर्वेदिक देसी सफल योग बताये गये हैं। उनका अनुसरण करें और प्यार का आनंद दो गुना करें।
संभोग क्षमता बढ़ाने वाले योग-
1. खोआ, मिश्री, जायफल तथा पीपल, बंगभस्म 2 रत्ती के साथ खाने से शरीर पुष्ट और बलवान बनता है। इनके खाने से बल बढ़ता है।
2. संभोग के पश्चात् 10 ग्राम शुद्ध घी तथा 5 ग्राम शहद में 10 ग्राम मुलहेठी का पिसा व छना हुआ चूर्ण मिलाकर चाटें तथा ऊपर से मिश्रीयुक्त दूध पी लें। उक्त प्रयोग से काम-शक्ति एवं शारीरिक बल की अत्यधिक वृद्धि होती है। इससे वीर्य का पतलापन दूर होकर उसकी मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है। कामी पुरूषों को इस योग का नित्य प्रातः व सायं सेवन करना चाहिए। भले ही संभोग करें या न करें।
3. बिधारा एवं असगंध नागौरी प्रत्येक 150 ग्राम कूट-छान लें। इसमें से 10 ग्राम चूर्ण, 6 ग्राम घी और शहद 3 ग्राम के साथ सेवन करने से प्रमेह रोग दूर हो जाता है। बल व वीर्य बढ़ता है और रतिक्रिया में आनंद आता है। घी और शहद की मात्रा भूलकर भी सम नहीं करें।
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4. इमली के बीज की गिरी कूट-पीसकर चूर्ण बना लें।
5. शतावर चूर्ण 3 ग्राम फांक कर ऊपर से दूध पीने से शक्ति बढ़ती है और संभोग-बल कम नहीं होता है।
6. भिण्डी की जड़ का चूर्ण 10 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ प्रयोग करने से अत्यंत बल एवं शक्ति उत्पन्न होती है।
7. लौंग, सफेद मूसली, बिदारीकन्द, गिलोय, तज और गोखरू इन्हें समान मात्रा में कूट छान लें। प्रतिदिन रात्रि को दूध के साथ 3 ग्राम खाया करें। इससे बल व वीर्य बढ़ता है।
8. शहद 6 ग्राम, प्याज का रस 6 ग्राम, घी 4 ग्राम मिलाकर सुबह-शाम पियें। रात को साने से पूर्व 10 ग्राम शतावरी चूर्ण दूध में मिश्री मिला औटाया हुआ पीने से लाभ होता है। निरंतर चार माह तक पीने से स्त्री प्रसंग में कमी नहीं होती है।
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9. शिलाजीत शीतऋतु में खाने से हस्तमैथुन एवं अत्यधिक मैथुन से नष्ट शक्ति की पूर्ति होती है। शिलाजीत शरीर में नष्ट हुई पौरूष शक्ति को तीव्र गति से बढ़ाती है। किसी रोग कारण अथवा अति रति प्रसंग से जब अल्पायु में जो नवयुवक अपनी पौरूष-शक्ति नष्ट कर बैठते हैं, उन्हें शिलाजीत युक्त औषधियाँ खाने से आशातीत लाभ होता है। शुद्ध शिलाजीत के उपयोग से शारीरिक शक्ति का विकास होता है।
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